आजकल सभी लोग अनुलोम विलोम प्राणायाम और कपालभाति प्राणायाम के बारे में जानते हैं। हो सकता है आप में से कई लोग अनुलोम विलोम प्राणायाम करते भी हैं, फिर भी आपको बता दें की, अनुलोम विलोम प्राणायाम कैसे करें, यानी इसे सही तरीके से करना बहुत ही जरूरी है, तभी आपको अनुलोम विलोम के फायदे मिलते हैं। अनुलोम विलोम प्राणायाम की विधि और अनुलोम विलोम के नियम जानना बहुत ही आवश्यक है। इसलिए यही हम आपके लिए अनुलोम विलोम प्राणायाम के बारे में पूरी जानकारी लेकर आए हैं।।
प्राणायाम जीवन का बहुत ही महत्वपूर्ण योग आभास है। जबकि प्राणायाम के बारे में बात करते हैं तो लोगों के मन में मुख्य रूप से अनुलोम विलोम प्राणायाम और कपालभाति प्राणायाम के बारे में ही विचार आता है। प्राणायाम के हर भाग का ही कई सारे गुण, फायदे और चमत्कारी लाभ होते हैं।
ऐसे तो इस लेख को पूरा पढ़ना आपके लिए जरूरी है फिर भी अगर आप कुछ अंश को पढ़ना चाहते हैं तो नीचे आपकी सुविधा के लिए टेबल दिया गया है आप उसमें से सुन के किसी एक भाग को भी पढ़ सकते हैं।
प्राणायाम क्या है?
प्राणायाम योग व्यायाम का ही एक तकनीक है। प्राणायाम केवल एक गहरी सांस लेना और छोड़ना स्थिति नहीं है, इस प्रक्रिया में कई सारे लाभ और गुण शरीर और मन को प्राप्त होते हैं। प्राणायाम का अर्थ जीवन शक्ति का आधार है। यानी प्राणायाम हमारे जीवन शक्ति को विस्तार रूप से प्रकट करता है। प्राणायाम से शरीर में मानसिक, और शारीरिक विकास होता है।
अनुलोम विलोम प्राणायाम क्या है – What is Anulom Vilom Pranayam
अनुलोम विलोम, प्राणायाम का ही एक भाग है। यह प्राणायामों में से एक महत्वपूर्ण प्राणायाम है। ये शरीर में अच्छे वायु प्रवाह को बनाए रखता है और इसके साथ श्वसन प्रणाली और फेफड़ों में सुधार लाता है। यह शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है और शरीर को डिटॉक्सिफाई करता है।
अनुलोम विलोम प्राणायाम श्वास का एक बेहतरीन तकनीक है, जिसे नाड़ी शोधन प्राणायाम भी कहा जाता है। यह प्राणायाम सांस को लेना और छोड़ने का एक प्रक्रिया है, जिससे शरीर की जो नारियां है जिसे हम पल्स कहते हैं उसकी सफाई या शोधन किया जाता है।
इस प्राणायाम में तीन प्रक्रिया है
1 | पूरक | सांस को धीरे से अन्दर लेने की प्रक्रिया |
2 | कुम्भक | सांस को भीतर रोकने की प्रक्रिया |
3 | रेचक | सांस को धीरे से छोड़ना |
इस प्रक्रिया से या इस प्राणायाम से कई सारे लाभ हमारे शरीर को प्राप्त होते हैं। अगर मानव शरीर के नाड़ियों की सफाई अच्छी तरह से ना किया जाए या हो सकता है यह नाड़ियाँ बंद हो जाए, तब शरीर में कई सारी समस्या और बीमारियां होती है। यह समस्या छोटी या बड़ी भी हो सकती है। इससे मानसिक और शारीरिक दोनों समस्या ही हो सकती है। आइए नीचे जानते हैं अनुलोम विलोम प्राणायाम फायदे और अनुलोम विलोम प्राणायाम को करने का सही तरीका इससे जुड़ी कई सारी बातें।
अनुलोम विलोम प्राणायाम की विधि – Method of Anulom Vilom Pranayama in Hindi
- इस आसन को कहना बहुत ही आसन है, आप अपनी सुविधा अनुसार किसी भी एक मुद्रा में बैठे जाइए। अनुलोम विलोम प्राणायाम की विधि में नासिका के एक छिद्र से सास को लेना और दूसरे छिद्र से सास को छोड़ना और उसी दूसरे नासिका छिद्र से सांस को फिर से अंदर लेना और पहले छिद्र से छोड़ना होता है।
- अगर आप किसी मुद्रा में नहीं बैठ सकते, आपको कोई समस्या होती हो। हो सकता है कई लोग ऐसे भी हो जो बयस्क है और किसी भी मुद्रा में बैठना उनके लिए संभव नहीं होता है, वह अनुलोम विलोम करने के लिए चेयर पर, बिस्तर पर या जमीन पर कुचन लगाकर बैठ सकते हैं। लेकिन ऐसा आप तभी करें जब आप किसी भी मुद्रा जैसे सुखासन, पद्मासन, वज्रासन, स्वस्तिकासन या सिद्धासन मैं नहीं बैठ पाते हो और आपको इससे समस्या होती हो।
- अब आप अपने एक हाथ के अंगूठे से नासिका के एक छिद्र को दबाइए और बन कर ले,इस प्रक्रिया में आपको अपना सांस अंदर लेना है और सांस को अंदर लेते समय अपने पेट और फेफड़ों को पूरी तरह से विस्तार करना है। आप जितना सांस को अंदर भर सकते हैं उतना भरे।
- अब उसी हाथ के बीच वाले दो उंगलियों से अपने नासिका के दूसरे छिद्र पर रखे और उस छिद्र को बंद करें और अंगूठी को छोड़कर उस छिद्र से सांस हो बाहर निकाल दे।
- अब आप नासिका के जिस छिद्र से सांस को छोड़े थे फिर से सांस को वहीं से ले और इस प्रक्रिया को निरंतर दोहराए।
अनुलोम विलोम के नियम और करने का सही तरीका
अनुलोम विलोम प्राणायाम के नियम को जानना बहुत ही जरूरी है अर्थात अनुलोम विलोम प्राणायाम करने का सही तरीका होता है और तभी आपको अनुलोम विलोम का लाभ मिलता है। आइए जानते हैं अनुलोम विलोम का सही तरीका क्या है।
अनुलोम विलोम में सांस की प्रक्रिया
- सबसे जो पहला नियम है या जो सबसे पहला सही तरीका है वह है आप पूरक जितने समय के लिए लेते हैं रेचक को छोड़ने का समय उससे दुगना रखें। यानी कि आप जब सांस लेते हैं वह अगर 4 सेकंड का हुआ, तो जब आप सांस छोड़ते हैं तो वह 8 सेकंड का होना चाहिए।
- अगर आप 4 सेकंड का साथ लेकर 2 सेकंड समय में छोड़ते हैं, तब आपको इसका फायदा नहीं मिलता और यह आप खुद पर प्रयोग करके भी देख सकते हैं दोनों में बहुत अंतर है। सही तरीके में आपके मन को बहुत शांति मिलता है और दूसरे तरीके में आपको अच्छा फील नहीं होता। इसलिए इस बात पर पूरा ध्यान दें।
- इसके बाद आपको सास बहुत जल्दी जल्दी और बहुत जोर से नहीं लेना है आप धीरे-धीरे और सहज प्रक्रिया में सास को ले और छोड़ें।
- इस प्राणायाम में सांस ही मूल होता है। आपको इस बात का ध्यान रखना है इस प्राणायाम में सांस लेने और छोड़ने के समय नासिका का एक छिद्र काही प्रयोग करते हैं। जब आप सांस लेते हैं तब एक छिद्र का और जब आप सांस छोड़ते हैं तब दूसरे छिद्र का प्रयोग करते हैं।
- आप जब भी इसकी शुरुआत करते हैं, तब आप नासिका के बाएं छिद्र से ही सांस को अंदर ले और जब आप इसका अंत करें तब भी आप बाएं छिद्र से ही अंत करें।
- जैसा कि ऊपर बताया है कि आपको दाहिने हाथ पर नासिका के दाहिने छिद्र को दबाकर बाएं छिद्र से ही सांस को अंदर लेना है, और बीच के दो उंगलियों से बाएं छिद्र को दबाते हुए दाहिने छिद्र से सांस को छोड़ना होता है, फिर आप दाहिने छिद्र से सांस को फिर से अपने अंदर लेते हैं और फिर इसे बाएं छिद्र से छोड़ते हैं।
- आप जिस छिद्र से सांस को छोड़ते हैं उसी तरफ से सांस को अपने अंदर भरना होता है। जब आप सांस को अंदर करते हैं इससे आपके फेफड़ों और पेट फूल जाता है। आप सास को जितना हो सके अपने अंदर भरे और आप इसे शुरुआत में धीरे-धीरे सर करें।
अनुलोम विलोम प्राणायाम में कैसे बैठे
- सबसे पहले हम बैठने के बारे में जानते हैं। कई लोगों के मन में यह सवाल है कि इस प्राणायाम को करते समय हमें किस प्रकार बैठना चाहिए। अगर आप एक स्वस्थ व्यक्ति हैं और आप हर मुद्रा में बैठ सकते हैं तो आपको सुखासन, पद्मासन, वज्रासन, स्वस्तिकासन या सिद्धासन मैं इन चारों में से किसी एक मुद्रा को चुनना है और उसमें बैठना है।
- अब बात करते हैं कई लोग इन मुद्राओं में नहीं बैठ पाते है, तो वह लोग सोचते हैं या उनके मन में प्रश्न है के हम कुरसी में, जमीन में या बिस्तर पर बैठकर कर सकते हैं या नहीं? जी हां, इन सभी जगहों पर बैठकर इस आसन को कर सकते हैं लेकिन हां आप इसे लेट कर नहीं कर सकते।
- इस आसन को करते समय आपको इस बात पर ध्यान देना है, कि आपकी पीठ और गर्दन सीधा हो और आप सीधे होकर बैठकर करें क्योंकि सीधे होकर बैठ कर करने से आपके फेफड़ों को फुलाने के लिए ज्यादा जगह मिलता है। इसके साथ आप जब भी बिस्तर या कुर्सी पर बैठे तब आप अपने पैरों को नीचे की तरफ कर ले।
अनुलोम विलोम प्राणायाम में हाथों को कैसे रखें
- आप जब भी इस प्राणायाम का अभ्यास करें, शुरुआत में या हो सके तो पूरे समय में इसे दाहिने हाथ से करें, हां अगर आपको पूरा समय दाहिने हाथ से करने में मुश्किल हो तो आप बीच-बीच में अपने हाथों को चेंज कर सकते हैं। या आपके दाहिने हाथ में अगर कोई समस्या है तो आप इसे बाएं हाथ से भी कर सकते हैं।
- आपको दाहिने हाथ के अंगूठे और बीच के दो उंगलियों का प्रयोग करके इस आसन को करना है, कई लोग इसी वायु मुद्रा में भी करते हैं। अब आप बाएं हाथ अंगूठे और पहली उंगली को छु कर पत्ते का आकार बना कर सीधे घुटने पर रख लें जिसे चिन मुद्रा भी कहा जाता है।
आशा करते हैं आप जान चुके हैं कि आप अनुलोम विलोम प्राणायाम कैसे करें।
अनुलोम विलोम कब करना चाहिए?
अनुलोम विलोम प्राणायाम जितना हो सके सुबह उठकर करने की कोशिश करें। ऐसा नहीं है कि आप अगर इसे किसी और समय करते हैं तो आप को इससे फायदा नहीं मिलता है, क्योंकि इसे करने से पहले आपके पेट को पूरी तरह से खाली होना होता है इसीलिए सुबह का समय अच्छा रहता है।
आप इस प्राणायाम को सुबह, शाम या रात को भी कर सकते हैं। लेकिन आप इसका ध्यान दें कि जब भी आप यह करते हैं तब आपको अगले 3 से 4 घंटे तक कुछ नहीं खाना होता है ताकि आपका पेट खाली रहे। हां आप इस बीच में पानी पी सकते हैं।
क्या अनुलोम विलोम खाली पेट करना चाहिए?
- अगर आपके मन में भी यह प्रश्न है तो आपको यह बता दें कि आप कोई भी प्राणायाम करें तो इसके पहले आपका पेट खाली होना बहुत ही आवश्यक है। इसलिए अगर आप इसे सुबह को करते हैं तो यह आपके लिए बहुत अच्छा होता है।
- आप सुबह को उठकर इस प्राणायाम को करें या अगर आप इस समय के कमी के वजह से अन्य व्यक्त करते हैं तो आप इसे कुछ भी खाने के 3 से 4 घंटे के बाद में करें। इस बीच अगर आप पानी पीना चाहते हैं तो पानी पी सकते हैं और पानी पीने के आधे घंटे बाद इस प्राणायाम को करें।
- कई लोग पूछते हैं कि अगर उन्होंने 2 घंटे पहले या डेढ़ घंटे पहले ही चाय पिया है तो प्राणायाम कर सकते हैं, जी नहीं अगर आप अच्छी तरह से चाय और चाय के साथ नाश्ता करके इसे करना चाहते हैं तो ऐसा ना करें।
- अब बात करते हैं आप इसे करने के कितने समय के बाद कुछ खा सकते हैं। आप अनुलोम-विलोम हो या अन्य प्राणायाम हो, करने के बाद आधे घंटे तक कुछ ना खाए। इसके बाद आप पानी पिए और पानी पीने के बाद कोई भी आहार ले सकते हैं लेकिन हां आपको इसे करने के तुरंत बाद चाय या कॉफी का सेवन नहीं करना है।
अनुलोम विलोम कितने मिनट करना चाहिए?
अब बात करते हैं कि आप इसे कितने समय के लिए या कितने मिनट तक कर सकते हैं। अगर आप एक स्वस्थ व्यक्ति है और पहले आपने अनुलोम विलोम प्राणायाम नहीं किया तो शुरुआत में आप इसे 10 या 15 बार करें और इसके बाद 1 या 2 मिनट तक नॉरमल सांस ले और फिर से शुरू करें। शुरुआत में आप इसे 5 से 10 मिनट तक कर सकते हैं, और इसके बाद धीरे-धीरे बढ़ाकर 15 से आधा घंटे तक कर सकते हैं।
अगर आप को पहले से कोई समस्या है तो आप इसे किसी डॉक्टर के सलाह से या किसी योगा ट्रेनर के प्रशिक्षण में करें। और अगर आपने इसे पहले से पता है तो आप इसे 15 से आधे घंटे तक कर सकते हैं और चाहे तो इससे भी ज्यादा कर सकते हैं।
अनुलोम विलोम के फायदे और नुकसान
आइए आप जानते हैं अनुलोम विलोम प्राणायाम के क्या-क्या फायदे हैं और क्या इससे आपको कोई नुकसान भी हो सकता है।
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अनुलोम विलोम के फायदे – Anulom Vilom Benefits in Hindi
तंत्रिका तंत्र (Nervous System)
अनुलोम विलोम प्राणायाम के जो सबसे बड़ा फायदा है वह है, इस को नियमित रूप से करने से यह हमारे शरीर के तंत्रिका तंत्र में सुधार लाता है।हमारे शरीर में जो 72000 से भी ज्यादा नर्व्स उन सभी में सुधार लाता है और साफ करता है।
यह बंध नर्व्स को खोलता है और इसमें सुधार लाता है जिसकी वजह से शरीर के सभी हिस्सों में अच्छी वायु या ऑक्सीजन सटीक रूप से पहुंचता है जिससे शरीर और मन स्वस्थ रहता है और शारीरिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
रक्त संचार (Blood Circulation) में अनुलोम विलोम के फायदे
अनुलोम विलोम प्राणायाम से शरीर में रक्त संचार अच्छी तरह से होता है जिसकी वजह से शरीर के हर धागों में अच्छी तरह रक्त प्रवाह होता है। और इसीलिए हम बीमारियों से दूर रहते हैं।
वात पित्त और कफ दोष में अनुलोम विलोम के फायदे
वात पित्त और कफ को बैलेंस करता है। वात पित्त और कफ की दोष से शरीर में कई सारी बीमारियां हो सकती है, यह आखों से लेकर पेट हो या हड्डियों तक कई सारी बीमारियां हो सकती है। अनुलोम विलोम प्राणायाम शरीर में वात पित्त और कफ की दोष को संतुलित करता है और शरीर में आने नहीं देता।
लीवर (Lever) में अनुलोम विलोम के फायदे
यह प्राणायाम हमारे लिवर को भी स्वस्थ रखता है। अगर किसी को लिवर की समस्या है तो वह लोग इस प्राणायाम को करें जिससे उनके लीवर मजबूत बनते हैं और लिवर से जुड़ी अन्य समस्याएं नहीं होती।
आंतो (Intestines) में अनुलोम विलोम के फायदे
अनुलोम विलोम प्राणायाम हमारे आंतों को भी ठीक करता है और आंतों से जुड़े समस्याओं से दूर रखने में मदद करता है। इससे पेट साफ रहता है और पेट से जुड़ी समस्याओं से हम दूर रहते हैं।
कब्ज (Constipation) में अनुलोम विलोम के फायदे
कब्ज आजकल सभी लोगों के लिए एक बहुत बड़ी समस्या हो चुकी है। जीवन शैली में हुए परिवर्तन के कारण लोगों में कब्ज की समस्या होती है। अनुलोम विलोम के अभ्यास करने से शरीर के हर हिस्से में रक्त प्रवाह अच्छी तरह से होता है और पेट भी साफ रहता है इसलिए आप जो भी खाते हैं वह अच्छी तरह से डाइजेस्ट हो पाता है और आप कब्ज जैसे समस्याओं से दूर रहते हैं।
दिमाग अच्छी तरह से काम करता है
अनुलोम विलोम का सीधा असर हमारे दिमाग पर होता है, जिसके कारण हमारा दिमाग अच्छी तरह से काम करता है और इसमें अच्छी ऑक्सीजन भरने के कारण दिमाग बहुत ही तेज होता है, इसलिए जो बच्चे इसका नियमित अभ्यास करते हैं उन बच्चों के लिए यह प्राणायाम बहुत ही फायदेमंद है।
इसके साथ जिन लोगों में काम का प्रेशर ज्यादा है उन लोगों में दिमाग को शांत रखने के लिए और अपने काम में दिमाग को अच्छी तरह प्रयोग करने के लिए अनुलोम विलोम बहुत ही फायदेमंद है। और इसके साथऔर बुढ़ापे में जिन लोगों की याददाश्त कम होने की समस्या होती है यह सब समस्या अनुलोम विलोम से दूर रहता है।
एकाग्रता (Concentration) में अनुलोम विलोम के फायदे
जैसा कि आपने ऊपर अभी पड़ा की यह प्राणायाम बच्चों के लिए फायदेमंद है, और दिमाग को तेज करता है। इसी तथा यह आपके एकाग्रता को भी बढ़ाता है। जिन लोगों में एकाग्रता कम है और वह किसी चीज पर ध्यान नहीं दे पाते, वह लोग अगर अनुलोम विलोम प्राणायाम करते हैं तो कुछ ही दिनों में आपको इसका फर्क दिखाई देता है।
याददास्त में अनुलोम विलोम के फायदे
यह प्राणायाम आपके याददाश्त को भी तेज करता है। इसलिए जिन लोगों को भूलने की समस्या है उन लोगों में यह प्राणायाम बहुत ही फायदेमंद है खास कर बच्चों के लिए और वयस्क लोगों के लिए।
थकान को दूर करे
जो लोग थोड़े से काम करने के बाद ही थक जाते हैं उन लोगों के लिए अनुलोम विलोम प्राणायाम बहुत ही फायदेमंद है। यह आपके थकान को दूर करता है और हमेशा ही आप को एक्टिव रखने में मदद करता है।
सिरदर्द में अनुलोम विलोम के फायदे
अनुलोम विलोम प्राणायाम से सिर दर्द में बहुत फायदा मिलता है। जिन लोगों को अक्सर सिरदर्द की समस्या रहती है, खासकर महिलाओं को, वे लोग इस प्राणायाम को अगर रोज करते हैं, तो सिर दर्द हमेशा के लिए दूर हो जाता है। इसके साथ यह माइग्रेन के लिए भी बहुत फायदेमंद है।
डिप्रेशन (Depression) में अनुलोम विलोम के फायदे
अनुलोम विलोम प्राणायाम में सांस छोड़ने और लेने की जो प्रक्रिया होता है, उसकी वजह से यह हमारे मानसिकता पर बहुत प्रभाव डालता है। यह हमारे ब्रेन तक अच्छी तरह से ऑक्सीजन को पहुंचाता है, जिसके वजह से जो लोग तनाव में रहते हैं उनके लिए यह बहुत फायदेमंद है।
क्योंकि यह तनाव को दूर करता है, मन को शांत करता है, और इसके साथ जो लोग डिप्रेशन में चले जाते हैं उन लोगों में भी यह बहुत फायदेमंद है, और डिप्रेशन को कम करता है। मन में सुकून और शांति आने के कारण धैर्य बनता है और किसी भी समस्या से लड़ने के लिए मन से शक्ति मिलता है। इसलिए यह प्राणायाम शरीर के साथ मन के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है।
मधुमेह (Diabetes) में अनुलोम विलोम के फायदे
अनुलोम विलोम से शरीर में रक्त शर्करा की मात्रा नियंत्रित होता है इसलिए जिन लोगों को डायबिटीज है उन लोगों में यह फायदेमंद होता है। और इसके साथ जिन लोगों की शुगर लेवल थोड़ा सा बढ़ चुका है उन लोगों के लिए भी यह प्राणायाम बहुत ही फायदेमंद है क्योंकि यह उस को नियंत्रित करने में मदद करता है।
ह्रदय रोगों को दूर करें (Heart Diseases)
हृदय रोगों के लिए भी यह प्राणायाम बहुत ही फायदेमंद है इससे कमजोर दिल की समस्या से मुक्ति मिलता है इसके साथ हार्ट ब्लॉकेज की जो समस्या है वह भी दूर होता है जिससे हार्टअटैक जैसी समस्या भी लोगों में कम हो जाते हैं। इसके साथ ही हृदय से जुड़ी कई सारी समस्याओं से हमें दूर रखने में यह प्राणायाम बहुत मदद करता है।
ब्लड प्रेसर को नियंत्रण करें (Control Blood Pressure)
जिन लोगों में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है वह लोग अगर नियमित रूप से इस प्राणायाम को करें तो यह हाई ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करता है। इसके साथ जिन लोगों को लो ब्लड प्रेशर की समस्या है उनके लिए भी यह प्रणाम बहुत ही फायदेमंद है। यह ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
पाचन तंत्र (Digestive System) में अनुलोम विलोम के फायदे
अनुलोम विलोम प्राणायाम से पाचन तंत्र मजबूत होते हैं, और पाचन तंत्र मजबूत होने से शरीर में कई सारी समस्या नहीं होती जिसमें से एक मुख्य समस्या है शरीर में चर्बी का जमा होना इसके साथ यह पेट को भी स्वस्थ रखता है।
आंखों के लिए अनुलोम विलोम के फायदे
क्योंकि इस प्राणायाम से शरीर के हर अंग में अच्छी तरह से रक्त प्रवाह होते हैं और इसके साथ ही शरीर के पल्स को खोलता है इसलिए ये आंखों के लिए भी बहुत फायदेमंद है, इससे आंखें कमजोर होने की समस्या नहीं होती।
स्किन के लिए अनुलोम विलोम के फायदे
अनुलोम विलोम प्राणायाम के एक बहुत बड़ा फायदा हमारे त्वचा के लिए है। जिन लोगों की तथा संबंधित समस्या है उन लोगों को अनुलोम विलोम रोजाना नियमित रूप से करना चाहिए। यह हमारे तो जातक अच्छी तरह से ऑक्सीजन को भेजता है जिससे तो जाने चमक आना और कई सारी समस्याओं से दूर रहने में मदद मिलता है जैसे कि पिंपल, एकने, रुखापन या अन्य कई समस्याएं।
वजन कम
यह प्राणायाम वजन को कम करने में भी मदद करता है। यह आपके मेटाबॉलिज्म को भी नियंत्रित करता है जिससे वजन कम होने में बहुत मदद मिलता है। और इसके साथ जब आप चीजों को अच्छी तरह से पाचन कर पाते हैं, या अब जो भी खाते हैं वह अच्छी तरह से पच जाता है तो इससे शरीर में वसा का जमा होना कम हो जाता है ।
डिटॉक्स (Detox)
यह हमारे शरीर को अच्छी तरह से विषैले तत्वों को बाहर निकालता है। इससे हमारा शरीर अच्छी तरह से डिटॉक्स हो जाता है। शरीर में अच्छी तरह से ऑक्सीजन भरने के कारण शरीर को डिटॉक्स करने में मदद मिलता है।
हार्मोन चेंजिंग
जब भी आपकी बॉडी में कोई हार्मोनल चेंजेज होता है, यह प्राणायाम उसे ठीक तरह से और सब ठीक रूप में करने में मदद करता है। इसलिए यह टीनएजर बच्चों के लिए भी बहुत अच्छा होता है।
तो यह थे आनंद विलोम प्राणायाम के कुछ फायदे लेकिन आपको यह बता दे कि अनुलोम विलोम प्राणायाम से हमें कई सारे लाभ होते हैं।और जब हम अनुलोम विलोम में नाड़ी शोधन प्राणायाम करते हैं तब हमें इस से 10 गुना ज्यादा फायदा मिलता है।आइए आप जानते हैं अनुलोम विलोम प्राणायाम से क्या हमें कोई नुकसान हो सकता है।
अनुलोम विलोम प्राणायाम के लाभ (चमत्कार)
अनुलोम विलोम प्राणायाम के जो चमत्कारी लाभ आपको तुरंत देखने को मिलते हैं वह है
- अस्थमा में लाभ : जिन लोगों को अस्थमा की समस्या है वह लोग अगर रोजाना अनुलोम विलोम प्राणायाम करते हैं तो अस्थमा को दूर रखने में मदद मिलता है।
- नाक की एलर्जी : अगर किसी को नाक की एलर्जी या गले की एलर्जी है तो उन्हें यह प्राणायाम करना चाहिए क्योंकि इससे नाक और गले की एलर्जी कम हो जाती है।
- साइनस मे लाभ: जिन लोगों को साइनस की समस्या है वे अगर यह प्राणायाम करते हैं तो साइनस से मुक्ति मिलता है।
- बंध नाक को खोलें: अगर किसी का नाक बंद है और वह इस प्राणायाम को कहते हैं तो उनका ना खुल जाता है और उन्हें बहुत जल्दी आराम मिलता है।
- चिंता दूर करें: यह प्राणायाम हमारे मन को शांत करता है और हमें चिंता से दूर रखता है।
- तनाव को दूर करें: कई कारणों से लोगों में तनाव आ जाता है और यह तनाव तनाव को दूर करने में बहुत मदद करता है।
- अनिद्रा: इसके रोजाना अच्छा से यह आपके अनिद्रा की समस्या को कम करता है।
- फेफड़ों रखे स्वस्थ: यह हमारे फेफड़ों की क्षमता को वृद्धि करता है और हमारे फेफड़ों को स्वस्थ रखता है।
अनुलोम विलोम प्राणायाम के नुकसान
किसी भी प्राणायाम से शरीर को कोई भी हानि नहीं पहुंचता या इससे कोई भी नुकसान नहीं होता। इसी तरह अनुलोम विलोम प्राणायाम से भी शरीर को कोई भी नुकसान नहीं होता। यह नुकसान तभी करता है जब हम कुछ सावधानियों को नहीं मानते और गलत तरीके से इस प्राणायाम को करते हैं। हमें इस प्राणायाम को करने से पहले कुछ सावधानियों का भी ध्यान रखना जरूरी है नहीं तो यह प्राणायाम हमारे लिए नुकसान दायक हो सकता है। अनुलोम विलोम के अभ्यास के दौरान बरतें ये सावधानियां।
तो आइए जानते हैं अनुलोम विलोम प्राणायाम करने से पहले हमें किन-किन सावधानियों को ध्यान में रखना चाहिए।
अनुलोम विलोम में सावधानियां
- अनुलोम विलोम प्राणायाम करने के तुरंत बाद ही आपको नहीं नहाना चाहिए।
- इस प्राणायाम को करने के तुरंत बाद आप आहार ग्रहण ना करें।
- इस प्राणायाम को करने के तुरंत बाद चाय कॉफी शराब और कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन ना करें।
- इस प्राणायाम को करने से पहले आप 3 या 4 घंटे तक खाली पेट रहे।
- इस प्राणायाम को बहुत जोर जोर से और बहुत जल्दी-जल्दी ना करें। आपको धीरे-धीरे और सहजता पूर्वक करना चाहिए।
- शुरुआती दिनों में हैं आप लोग कुंभक पर ज्यादा ध्यान ना दें, और बिना जाने सास को रोकने का प्रक्रिया ना करें।
- जो लोग बहुत कमजोर है या किसी बीमारी की वजह से उन्हें कमजोरी आ गई है वह लोग इस प्राणायाम को ना करें या करना चाहे तो डॉक्टर के सलाह से ही करें।
- अगर इसे करते समय आपको कोई समस्या हो या सांस लेने में प्रॉब्लम हो रहा हो तो आप इसे तुरंत रोक दें और आराम करें। इसे दोबारा से ना करें।
- अगर आप इसे पहली बार कर रहे हैं तो आप इसे किसी अच्छे सलाहकार से सलाह लेकर करना चाहिए।
- अगर आप इसे पहली बार कह रहे हैं तो शुरुआत में इसे लंबे समय तक ना करें। पहले कुछ दिनों में 1 से 3 मिनट तक करके देखें और फिर धीरे-धीरे समय को बढ़ाएं।
- आपको कोई दिल की बीमारी है तो आप इस प्राणायाम को ना करें या करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर करें।
- अगर आप कोई सर्जरी करके आए हैं तब भी इस प्राणायाम को ना करें कुछ समय बीतने के बाद डॉक्टर के सलाह से ही करें।
- अगर आपने कोई साफ संबंधित समस्या है या आप को सांस लेने में कोई समस्या है तो आप इस प्राणायाम को ना करें और अगर आवश्यक हो तो आप डॉक्टर के सलाह से ही करें।
- जिन लोगों में एनीमिया की समस्या है या बार बार चक्कर आते हैं वह लोग इस प्राणायाम को ना करें या फिर डॉक्टर की सलाह से शुरुआत में बहुत धीरे से और बहुत कम समय के लिए ही करें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q. अनुलोम विलोम करने के कितने समय बाद खाना खा सकते हैं?
- अनुलोम विलोम के तुरंत बाद कोई भी आहार ग्रहण ना करें आप आधे घंटे तक रुके फिर पानी पिए, उसके कुछ समय बाद ही आहार ग्रहण करें।
Q. अनुलोम विलोम कब कब कर सकते हैं?
- आप अनुलोम विलोम को सुबह, दोपहर, शाम और रात को भी कर सकते हैं।
Q. अनुलोम विलोम कितने समय करें?
- आप इसे शुरुआत में 10 बार सांस ले और 10 बार छोड़ें फिर कुछ समय नॉर्मल सांस ले और फिर से शुरू करें। इस तरह से आप 1 से 3 मिनट तक करें और धीरे-धीरे आप इसे आधे घंटे तक कर सकते हैं।
Q. अनुलोम विलोम का सही तरीका क्या है?
- आप अनुलोम विलोम बाएं नासिका छिद्र से धीरे से ले और दाएं नासिका छिद्र से छोड़े, फिर दाएं नासिका छिद्र सांस को फिर से ले और बाएं नासिका छिद्र से छोड़े। इससे आप बहुत ही खीरे और सहज प्रक्रिया में करें। सही तरीके की पूरी जानकारी के लिए ऊपर लेख में पढ़ें।
Q. अनुलोम विलोम से कितनी कैलोरी बर्न होती है?
- कैलोरी बर्न करने के लिए आपको केवल अनुलोम विलोम प्राणायाम के ऊपर निर्भर रहने से काफी नहीं होगा इसके साथ आपको अपने जीवन शैली में कई सारी परिवर्तन लाने होंगे।
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निष्कर्ष
अनुलोम विलोम प्राणायाम बहुत ही सरल और फायदेमंद प्राणायाम है। लेकिन अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे आपको तभी मिलते हैं जब आप अनुलोम विलोम प्राणायाम की विधि सही तरीके से करते हैं। इसे सही तरीके से करने के लिए किसी विशेषज्ञ या योग प्रशिक्षक से सलाह ले और कोई भी समस्या होने से इसे बंद करें और डॉक्टर से परामर्श करे। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा तो यह आप अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें ताकि वह लोग भी इसे सही तरीके से कर पाए और इसके बारे में पूरी जानकारी ले पाए।