2 साल से कम उम्र के शिशुओं में एंटीबायोटिक का उपयोग करने से क्या होगा

कई लोगों के मन में यह सवाल है की क्या 2 साल से कम उम्र के बच्चों पर एंटीबायोटिक का उपयोग करने से कई स्वास्थ्य समस्याएं विकसित होने की संभावना होता है? क्या 2 साल से कम उम्र के बच्चों पर एंटीबायोटिक का उपयोग करना चाहिए? कई माता पिता इसके बारे में नहीं जानते, तो ये लेख आपकी मदद कर सकता है। 

अक्षर कई तरह की बीमारियों से बचने के लिए, लोगों पर एंटीबायोटिक का प्रयोग किया जाता है। हर बीमारी में और हर उम्र के लोगों में इलाज के लिए इसका प्रयोग अलग अलग तरह और अलग मात्र में किया जाता है। लेकिन एक शिशु में इसका उपयोग सही नहीं होता।

एंटीबायोटिक क्या है? – What is Antibiotic?

एंटीबायोटिक्स एक दवा है जिसे बैक्टीरिया को मारने के लिए या बैक्टीरिया प्रतिरोधक के हिसाब से प्रयोग किया जाता है। आजकल ज्यादातर बीमारियों के लिए ही डॉक्टर द्वारा एंटीबायोटिक दिया जाता है। एंटीबायोटिक एक ऐसी दवा है जिसका प्रयोग छोटे से लेकर बड़ी-बड़ी बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। इसके प्रयोग से छोटी बड़ी बीमारियों को किया गया है और ठीक किया जा सकता है। एंटीबायोटिक का प्रयोग बैक्टीरिया को मारने के लिए या बैक्टीरिया के विकास को रोकने के लिए किया जाता है। यह शक्तिशाली दवा बैक्टीरिया से होने वाली बीमारियों को कम करने में बहुत ही उपयोगी है।दुनिया का सबसे  पहला एंटीबायोटिक पेनिसिलिन है। पेनिसिलिन के बाद ही बाकी एंटीबायोटिक्स को बनाया गया।

एंटीबायोटिक का जितना लाभ है उतना ही इसका नुकसान भी है, क्योंकि इसके कई सारे साइड इफेक्ट हमें देखने को मिलते हैं।  इसको सही तरीके से और सही परिणाम में लेना बहुत ही आवश्यक है। अगर किसी को इसके बारे में ज्ञान ना हो या डॉक्टर से प्रिस्क्राइब किए बिना आप इसे लेना चाहते हो तो यह बिल्कुल ना करें इससे आपको बहुत नुकसान होगा।

एंटीबायोटिक्स के मुख्य प्रकार – Types of Antibiotics

क्यों की कई तरह के संक्रमण पाए जाते है और उनके इलाज के लिए विभिन्न तरह के एंटीबायोटिक मिल जाते है। कई प्रकार के एंटीबायोटिक्स दावा उपलब्ध है। उनमे से मुख्य प्रकार एंटीबायोटिक्स है।

  • पेनिसिलिन (Penicillins)
  • सेफ्लोस्पोरिन (Cephalosporins)
  • टेट्रासाइक्लाइन (Tetracyclines)
  • एमिनोग्लीकोसाइड्स (Aminoglycosides)
  • मैक्रोलाइड्स क्लैरिथ्रोमाइसिन (Macrolides clarithromycin)
  • क्लिंडामाइसिन (Clindamycin)
  • सल्फोनामाइड्स और ट्राइमेथोप्रिम (Sulfonamides and trimethoprim)
  • मेट्रोनिडाजोल और टिनिडाजोल (Metronidazole and tinidazole)
  • क़ुइनोलोनेस (Quinolones)
  • नाइट्रोफ्यूरन्टाइन (Nitrofurantoin)

बच्चों में एंटीबायोटिक का उपयोग

संक्रमण की हर दवाई में ही एंटीबायोटिक नहीं होता आपके बच्चे में कोई संक्रमण होता है और किसी बजह से उन्हें डॉक्टर दवाई प्रिस्क्राइब करते हैं तो हो सकता है उनमें से कोई दवा एंटीबायोटिक हो। क्योंकि यह बीमारी के ऊपर निर्भर करता है। कुछ बैक्टीरियल संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक बहुत ही ज्यादा प्रभावी है।

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क्या शिशुओं को एंटीबायोटिक दिया जा सकता है

शिशु में अगर कोई बैक्टीरियल इंफेक्शन हो जाता है, और डॉक्टर उसके लिए एंटीबायोटिक का प्रिस्क्राइब करते हैं, तो उन शिशुओं को यह जरूर देना चाहिए। अगर डॉक्टर एंटीबायोटिक का सलाह दे रहे हैं तो आप एंटीबायोटिक का  पूरा दवा जरूर ले, उसको आधा ना करें। क्योंकि आधा करने से वह बैक्टीरियल संक्रमण पूरी तरह से खत्म नहीं होगा उसके जीवाणु रह जाएंगे, जो बाद में फिर से आ सकते हैं। इसलिए आप पूरी दवाई जरूर ले।

हां शिशुओं में एक लंबे समय से एंटीबायोटिक लेना या एंटीबायोटिक ज्यादा मात्रा में लेना खतरनाक हो सकता है, इसके ऊपर आप अपने डॉक्टर से सलाह कर सकते हैं।

2 साल से कम उम्र के शिशुओं में एंटीबायोटिक का उपयोग करने से क्या होगा

नए अध्ययन से यह पता लगा है कि, जिन बच्चों को 2 साल की उम्र से पहले इलाज के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग किया जाता है, उन शिशुओं के बिकाश में और स्वास्थ्य में इसका प्रभाव पर सकती है, और दुसरे बीमारियां होने की अधिक संभावना होती है।

Mayo Clinic के शोधकर्ताओं ने यह पाया है कि 2 साल से छोटे बच्चों में एंटीबायोटिक दवाओं से उनके स्वास्थ्य में बुरा प्रभाव पर सकता है। एंटीबायोटिक अच्छे बैक्टीरिया को मार कर बच्चों की विकास को रोक सकती है, बच्चों में एलर्जी की समस्या हो सकती है, बच्चे मोटापा जैसे समाया से पिरित हो सकते है।

शिशुओं में एंटीबायोटिक का उपयोग क्यों न करें?

14,500 से अधिक बच्चों के स्वास्थ्य रिकॉर्ड डेटा का विश्लेषण किया गया, जिसमे Mayo Clinic के शोधकर्ताओं ने पाया के लगभग 70% बच्चों में जो 2 साल से कम उम्र के बच्चे है, जिन्हें एक बीमारी को ठीक करने के लिए कम से कम एक एंटीबायोटिक का उपचार प्राप्त हुआ था उन बच्चो को बाद में अस्थमा, एलर्जी, या मोटापा जैसे समाश्यायें देखने को मिलता है। एंटीबायोटिक उपचार बच्चे के आयु, लिंग और खुराक के आधार पर समश्यये भी भिन्न होती हैं।

एंटीबायोटिक दवाओं को लेने के बाद बच्चों में अस्थमा, मोटापा, एलर्जी, ध्यान घाटे की सक्रियता विकार, सीलिएक रोग और एटोपिक जिल्द की सूजन जैसी समश्यये हो सकती हैं।

एंटीबायोटिक से होने वाले समस्या 

शोधकर्ताओं ने देखा की आम तौर पर सबसे ज्यादा प्रेस्क्रिब किया गया एंटीबायोटिक दवाओं के रूप पेनिसिलिन, सेफलोस्पोरिन, और मैक्रोलाइड्स को सबसे अधिक है। और जो बच्चे जन्म से 2 साल के बीच के है, उन्हें दिया गया उनमें कुछ स्वास्थ्य स्थितियों में समस्या होने की संभावना अधिक पाई गई।

शोधकर्ताओं के अनुशार Cephalosporins का समस्या सबसे अधिक autism और फ़ूड एलर्जी को बढ़ाता है। Penicillins से अस्थमा बढ़ने का समस्या और अधिक वजन और लड़कियों में celiac disease और ADHD का समस्या, और लड़कों में मोटापे की समस्या ज्यादा देखने को मिला। Macrolides बच्चो में अस्थमा और वजन के बढ़ने की समस्या ज्यादा था।

अध्ययन के परिणाम देख कर पुष्टि करने के लिए शोधकर्ताओं का मानना है की भविष्य में इसके ऊपर और अध्ययन की आवश्यकता है। क्यों की इस अध्ययन से शोधकर्ताओं ने किसी भी बात की दावा नहीं किया

शोधकर्ताओं ने स्पस्ट किया कि एंटीबायोटिक के उपयोग करने से स्वास्थ्य की स्थिति  के बीच एक संपर्क की पहचान की थी, बजाय एक कारण के। 

इस से यह पता चलता है, माता पिता अपने शिशु को एंटीबायोटिक देने से पहले डॉक्टर से अच्छी तरह से सलाह करे और बहुत जरूरी होने पर ही एक थोश कदम उठाये। यह लेख एंटीबायोटिक का समर्थन या विरोध नहीं करती, यह सिर्फ एक जानकारी के लिए लिखा गया है, जिससे कि माता-पिता अपने बच्चों के लिए कुछ भी लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह मशवरा जरूर करें।